इस बात को जानो कि मैं उन असीम सन्नाटो से वापिस आऊंगा! पर भूल जाओ की मैं तुम्हारे पास वापिस आऊंगा! कुछ वक्त लगेगा और आराम के कुछ पलो के बाद मैं किसी और स्त्री की बाहो में मिलूंगा !
- कहलिल जिब्रान
इस दुनिया में हर किसी के लिए कोई न कोई ख़ास शख्स जरूर बना है ! अक्सर ये शख्स दो, तीन और कभी कभी ज्यादा भी होते हैं और विभिन्न श्रेणीयो से जुड़े होते हैं! ये समय के दरिया और स्वर्ग की सीमाओं को पार करते हुए हमेशा आपके करीब आ पहुँचते हैं ! ये लोग स्वर्ग सी लगने वाली दुनिया से आये होते हैं और अलग प्रतीत होते हैं मगर आपका दिल इन्हें बहुत करीब से जानता है! आपके दिल ने उन्हें चांदनी भरे मिश्र के रेगिस्तानो और मंगोलिआ के पुराने भू-भागों की तरह जकड़ा हुआ है ! आपने साथ ही में उन भूले हुए सिपाहियों की सेना पर भी चडाई की है और पुरानी रेत से सनी पुरानी गुफाओं में जिंदगी साथ बितायी है! आप आजीवन साथ बंधे हुए हैं और आप कभी अकेले नहीं हो सकते हो!
आप उलझ सकते हो : "मैं आपको नहीं जानता" आपका दिल जानता है!
वो पहली बार आपका हाथ अपने हाथ में लेता है और उसके स्पर्श की यादें समय की सीमा से पार जा कर आपकी नशो को झकझोर कर देती हैं ! वो आपकी आँखो में देखती है और आपको सदियो पुरानी एक आत्मीयता का एहसास होता है ! आपके बदन में उथल -पुथल होने लगती है, आपके हाथो के रोगटे खड़े जाते हैं और इस क्षण से बाहर सब कुछ अपना वजूद खोने लगता है!
हो सकता है कि वो आपको नहीं पहचाने जबकि आप उससे दुबारा मिल रहे हो या फिर आप उसे जानते हो ! आप उस बंधन को महसूस कर सकते हैं! संभवत आप भविष्य देख सकते हैं। पर वो नहीं देख सकता! उसका डर, उसकी तार्किकता और उसकी परेशानियां उसके दिल की आँखों पर एक पर्दा डाल देती हैं! उस परदे को हटाने के लिए वो कभी आपको अपनी मदद नहीं करने देता है ! आप असीम दुःख महसूस करते हो और वो चला जाता है ! किस्मत बहुत नाजुक हो सकती है !
जब दोनो एक दूसरे को पहचान लेते हैं तो दुनिया की कोई ताकत उन्हें अलग नहीं कर सकती! उस वक्त एक जबरदस्त ऊर्जा उत्पन्न होती है!
आत्मीय पहचान तुरंत हो सकती है! किसी अजनबी को बहुत करीब से जानने का अचानक से चिर परिचित महसूस होना सचेत मन की सोच से भी परे है! ये करीबी आमतौर पर अपने परिवार के किसी ख़ास या और किसी शख्स के लिए ही होती है जो बताती की क्या कहना है और इस पर वो शक्श कैसे प्रतिक्रिया देगा! ये एक सुरक्षित होने का भाव है और एक विश्वास है जो एक दिन, एक हफ्ता या फिर एक महीने में नहीं प्राप्त किया जा सकता है !
आत्मीय पहचान थोड़ी बहुत और फिर बहुत धीरे भी हो सकती है! ये अवगत होने की शुरुआत होती है वो पर्दा धीरे धीरे उठ रहा हो! हर कोई शख्स नहीं है जो इस उठे हुए परदे को उसी वक़्त देखने को तैयार है! हर काम का एक सही समय होता है और उस शक्श के लिए धैर्य भी बहुत जरुरी है जो इसे सबसे पहले देखता है!
किसी को देख कर, कोई सपने से, कोई याद से या फिर कोई हाव भाव से आप अपनी आत्मा की मौजूदगी को महसूस कर सकते हो! आप उसके हाथों के स्पर्श से या उसके होठों के चुम्बन से भी जाग सकते हो और तब आपकी आत्मा आपको जीवित होने का एहसास दिलाती है!
ये स्पर्श जो आपको जाग्रत करता है, आपकी औलाद का, आपके माता-पिता का, भाई का या फिर एक सच्चे दोस्त का हो सकता है! या फिर ये आपके उस प्रिय का भी हो सकता है जो कई सदियाँ लांघ कर आपको चूमने और ये याद दिलाने आता है कि आप दोनो हमेशा साथ हैं, अंतिम वक्त तक!
हो सकता है कि वो आपको नहीं पहचाने जबकि आप उससे दुबारा मिल रहे हो या फिर आप उसे जानते हो ! आप उस बंधन को महसूस कर सकते हैं! संभवत आप भविष्य देख सकते हैं। पर वो नहीं देख सकता! उसका डर, उसकी तार्किकता और उसकी परेशानियां उसके दिल की आँखों पर एक पर्दा डाल देती हैं! उस परदे को हटाने के लिए वो कभी आपको अपनी मदद नहीं करने देता है ! आप असीम दुःख महसूस करते हो और वो चला जाता है ! किस्मत बहुत नाजुक हो सकती है !
जब दोनो एक दूसरे को पहचान लेते हैं तो दुनिया की कोई ताकत उन्हें अलग नहीं कर सकती! उस वक्त एक जबरदस्त ऊर्जा उत्पन्न होती है!
आत्मीय पहचान तुरंत हो सकती है! किसी अजनबी को बहुत करीब से जानने का अचानक से चिर परिचित महसूस होना सचेत मन की सोच से भी परे है! ये करीबी आमतौर पर अपने परिवार के किसी ख़ास या और किसी शख्स के लिए ही होती है जो बताती की क्या कहना है और इस पर वो शक्श कैसे प्रतिक्रिया देगा! ये एक सुरक्षित होने का भाव है और एक विश्वास है जो एक दिन, एक हफ्ता या फिर एक महीने में नहीं प्राप्त किया जा सकता है !
आत्मीय पहचान थोड़ी बहुत और फिर बहुत धीरे भी हो सकती है! ये अवगत होने की शुरुआत होती है वो पर्दा धीरे धीरे उठ रहा हो! हर कोई शख्स नहीं है जो इस उठे हुए परदे को उसी वक़्त देखने को तैयार है! हर काम का एक सही समय होता है और उस शक्श के लिए धैर्य भी बहुत जरुरी है जो इसे सबसे पहले देखता है!
किसी को देख कर, कोई सपने से, कोई याद से या फिर कोई हाव भाव से आप अपनी आत्मा की मौजूदगी को महसूस कर सकते हो! आप उसके हाथों के स्पर्श से या उसके होठों के चुम्बन से भी जाग सकते हो और तब आपकी आत्मा आपको जीवित होने का एहसास दिलाती है!
ये स्पर्श जो आपको जाग्रत करता है, आपकी औलाद का, आपके माता-पिता का, भाई का या फिर एक सच्चे दोस्त का हो सकता है! या फिर ये आपके उस प्रिय का भी हो सकता है जो कई सदियाँ लांघ कर आपको चूमने और ये याद दिलाने आता है कि आप दोनो हमेशा साथ हैं, अंतिम वक्त तक!
Translated by
Kamal Paneru
Kamal Paneru
No comments:
Post a Comment