Nav Bar

Thursday, October 8, 2020

कुछ अल्फ़ाज़ उभरे से! कुछ दर्द दबा सा

बस... हो गया ना!
चार दिन की मुहब्बत, उम्र भर का मर्ज़! पड़ोस का पान वाला लाला अक्सर कहा करता है इश्क़ शौक भी है और बीमारी भी! जिसकी जैसी किस्मत उसको वैसा इश्क़! कभी पुरानी किताबो में पढ़ा था मैंने रिश्ते और मछली जितना कस कर पकड़ोगे उतनी तेज़ी से हाथ से रेत की तरह फिसलते चले जाएंगे! तुम्हें पता है घुटन कब होती है? जब आप किसी से बहुत मुहब्बत करते हैं और फिर आप कह नहीं पाते और सामने वाला समझ नहीं पाता! और यही आँख मिचोली कब दूरियां ले आती हैं और सामने वाला किसी और की बाहों में सिमटने लगता है मालूम ही नहीं लगता! उस्ताद नुसरत फ़तेह अली खान ने गाया है "साया भी साथ जब छोड़ जाये ऐसी है तन्हाई!" तुम तो साया थी ना मेरा! मेरा वजूद! मेरा ईमान! मेरा इनाम! और आज लगता है जैसे कोई दीमक किसी भरे पूरे पेड़ को कुतर जाती है ना कुछ ऐसे ही वक़्त ने कुतर दिया हो मुझे! बाहर से वही मुस्कान मगर अंदर से सब खोखला! जैसे एक चिंगारी ने घर तबाह कर दिया हो! इतिहासकार अक्सर कहा करते हैं वक़्त तब रोया था जब महारथी कर्ण और महाराणा प्रताप वीरगति को प्राप्त हुए थे! शायद वो इतने महान लोग थे की जिनके लिए वक़्त का रोना सबको दिखा! मगर जिनको वक़्त ने रुलाया उनका जिक्र किसने किया है भला! मेरे हाथो की लकीरों को तो ये भी नहीं मालूम था की यूं तुमसे दूर होना पड़ेगा! समझ में नहीं आता की ये भगवान हैं नहीं या मेरी सुनता नहीं! कहते हैं मुहब्बत करने वालों को तो खुदा मिलाता है, तो क्यों आज खुदा खामोश बैठा है या वो नाराज़ है मुझसे कि मुहब्बत हुई तो मैंने अपना खुदा क्यों बदल लिया!
 हाँ मैंने तो तुम्हें देवी का दर्ज़ा दिया था मुहब्बत में! मगर जैसे पानी की एक बूँद रेत के अथाह सागर कहीं खो जाती है, कुछ ऐसे ही इन अनगिनत दर्द के लम्हों में मैंने अपनी मुस्कान, अपना सुकून और अपना वजूद सब खो दिया है! क्योंकि ये सब तो तुम से जुड़ा है ना मेरा! तुम गयी तुम सब ले गयी! जाते जाते तुमने इतना जरूर कहा की अपना ख्याल रखना और मैं दुआ करुँगी की तुम हमेशा ख़ुश रहो! तुम सच बताओ क्या तुम्हारी दुआओं में वाकई इतना असर है? तुमने तो कभी ये भी दुआ माँगी थी कि हम दोनों सातों जनम साथ रहेंगे! और बात इसी  जन्म में अधूरी रह गयी! लाख बुराइयाँ बेशक़ हैं मुझमें मगर सुकून भी तब है जब तुम उनको मेरे अंदर से निकाल फेको! आज ग्रहों ने अपनी चाल क्या बदली! हमारे रिश्ते की चाल बदल गयी! धरती से करोड़ों अरबों किलोमीटर दूर बैठे ये गृह तय करेंगे क्या कि हम खुश रहेंगे या नहीं! शायद जो तुमने किआ वो दोनों क लिए ठीक भी हो और शायद नहीं भी! मगर मुझसे पूछोगे तो मैं इसमें कभी हामी नहीं भरूँगा हाँ मगर बात तुम्हारी ख़ुशी की आ जाये फिर रिश्ते क्या सर कलम करवाना भी मंज़ूर है मुझे!
तुम साथ नहीं तो क्या मुहब्बत ख़तम हो जाएगी? मुहब्बत क्या किसी साथ की मोहताज़ होती है? नहीं जहाँ प्यार आत्मा से होने लगता है वहाँ ये जिस्मानी रिश्ते बहुत छोटे लगने लगते हैं!

- कमल पनेरू 

2 comments:

  1. tum kya jano mohaabat ? tum bus fenkna jante ho shabd , isse jyda or kuch nahi kar sakte tum !

    fenku no. 1

    ReplyDelete
    Replies
    1. एक नंबर का घटिया इंसान है तू! जानवरों से भी घटिया है ये शख्स ! तेरी असलियत मुझसे ज्यादा कोई नही जानता !! घटिया है तू पनेरू!!!

      Delete