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Saturday, February 16, 2019

नया जख्म: पुलवामा



कुछ अनजान से थे कुछ बेख़बर से थे
अपने ठहाकों में ही खोये थे!
मालूम कहाँ था उनको कि आतंकियों ने
बीज कफ़न के बोये थे !
हुआ धमाका पुलवामा में फिर गगन पूरा हिला दिया
एक पल में ही खून उन जाबांजों का मिट्टी में फिर मिला दिया!
टुकड़ों में बिखरे उनके शव ने हिन्दुस्तां पूरा झकझोर दिया
मातृभूमि के रखवालों ने दम एक पल में ही तोड़ दिया!
इनकी वीरता को तिरंगे ने झुक कर सलाम किया!
ऐसी ओछी हरकत को जैस-ए-मुहम्मद ने अपना नाम दिया!
लोग मनाते रहे वैलेंटाइन पर उन्होंने खुद को कुर्बान किया !
चंद लम्हों में ही आदिल ने देश को श्मशान किया!
पक्ष हो या विपक्ष हो आपस में ना अब लड़ेंगे
हाँ सिध्धू जैसे नेता आतंकियों की भाषा जरूर पढ़ेंगे !
जख्म गहरा है पुलवामा का, सीने पर चोट खायी है!
मगर हिंदुस्तान हूँ, बदला लूंगा कसम मैंने खायी है!
आलोचक आये बड़े बड़े और करी सबने निंदा है
देखना है जैस-ए नपुंसक कितनी देर जिन्दा है!
मरे नहीं शहीद हुये हैं मेरे बेटे आँसू ना मैं बहाऊँगा
इन देश में पलते गद्दारों को मैं सबक जरूर सिखलाऊंगा
कफ़न नसीब हो ना इनको, ऐसी मौत मारूंगा
अरे हिन्दुस्तां हूँ मैं, अपनी नयी तस्वीर उतारूंगा!
पल भर में ही बदल दूंगा मैं सारी वो तक़दीर को
देखे जो कोई मुड़ कर मेरे इस कश्मीर को
बना नहीं वो बारूद अभी तक जो मिटाये हिन्दुस्तान को!
आओ मिल कर ख़तम करें इस झंझट पाकिस्तान को !

- कमल पनेरू






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