Nav Bar

Wednesday, June 28, 2017

बेचैनी



हाँ तुम्हारे यूँ दूर चले जाने से
एक शख्स मेरे अंदर उदास बैठा है
अलविदा नहीं होते अक्सर खुशमिज़ाज़ अंदाज़ के
यही सोच कर आँखों के बहुत पास बैठा है
तुम्हारे हाथों का वो कोमल सा स्पर्श
और मेरी हर बात पर होठों पर एक प्यारी सी हसी
तुम्हारा यूँ हर दफ़ा कुछ ना कुछ तोहफे देना
मेरे हर बार रूठ जाने पर चंद पलों में मना लेना
यही कुछ यादें समेट रहा हूँ वक़्त से
वक़्त है कि ओढ़ कर लिबास बैठा है
महसूस की थी मैंने तेरे दिल में वो कसक उस शाम
जो मुझे इत्मिनान से गले लगा कर पूरी होनी थी
और वो नज़रो से ही दूर तक साथ आना
ये अधूरा ही रह गया था
मुहब्बत आज बेचैन सी थी तेरे मेरे दरमियाँ
जोड़ लूँ सब लम्हे तेरे साथ में
की करने अब ये दिल नए कयास बैठा है
तेरे होठों पर मेरा नाम कांपता सा रह गया
पर तेरा चेहरा था कि सारा दर्द कह गया
थी आज खामोशियों के पास चीख़ती हुई जुबां
पर ये दिल था जो सब कुछ सह गया
कुछ अरमान और भी जगते हैं अब दिल में
जो झंझोड़ देते हैं मेरी रूह को
तड़प जाता हूँ मैं तुम्हे साथ ना सोच कर
मानो खुदा भी करने मुझसे अट्हास बैठा है 
हाँ तुम्हारे यूँ दूर चले जाने से
एक शख्स मेरे अंदर उदास बैठा है

- कमल पनेरू





No comments:

Post a Comment