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Sunday, December 30, 2018

तकलीफ होती है


हाँ तकलीफ होती है
जब साल यूँ ही गुज़र जाता है
तो तकलीफ होती है
जब मेहनत कर के भी मायूसी हाथ  लगती है
तो तकलीफ होती है
जब सच्चे प्यार पर चलती है शक की कैंचियां
तो तकलीफ होती है
जब वफ़ा करने वाले भी खाने लगे धोखे
तो तकलीफ होती है!
दिन भर कमा कर भी सोये औलाद भूखी
तो तकलीफ होती है
की जमा किये सिक्कों से जब न ख़रीदा जाये कम्बल
और निकाली जाये रात कोहरे में ठिठुरते हुए
तो तकलीफ होती है
सुकून की बात करने वाला ही सुकून से न सो पाये
तो तकलीफ होती है
अक्सर बन जाते हैं बिगड़े हुए काम मगर
जब बने हुए काम बिगड़ने लगें
तो तकलीफ होती है
मानवता सबसे बड़ा धरम बोल कर
बांटें ज़माने को धर्मों की चौखट पर
तो तकलीफ होती है
नौकरी करता देख औलाद, बाप जीये शान से
फिर वही नौकरी दूरियाँ ले आये
तो तकलीफ होती है
नन्हों की मासूम सी हँसी  की  कायल दुनिया
फिर करे बलात्कार उन्ही बच्चों का
तो तकलीफ होती है
ऊपर वाला तो सब देख रहा चुपचाप
धरती पर जब इंसान मचाता उत्पात
तो तकलीफ होती है

 - कमल पनेरू


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