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Thursday, November 24, 2016

नोटगिरी


जब से देश में नोट जाली हो गये !
मेरे शहर में अमीरों के मकान खाली  गये !!
रुतबा था जिनका दुनिया में हर चौखट पर 
आज वही कुछ चोर तो कुछ मवाली हो गये !!


तिनके तिनके को भटक रहे अब अपना ही जनाज़ा ले कर 
इज़्ज़त वाले लोग समाज़ में अब एक गाली हो गये !!
बढ़ रही है दिलों की धड़कन तेज़ रफ़्तार से 
सर्वगुण संपन्न भी एक टूटी डाली हो गये !!


ये कैसी शब है हर जगह मायूसी 
वो लोग और थे जो किन्नरों की ताली हो गये !!
सुन्न से पड़े हैं अब चुपचाप घर के किसी कोने में 
चंद लम्हो में सब एक गरीब की थाली हो गये !!


जो सुना करते थे संगीत को पैमाने में उतार कर
वो आज महफ़िलों में बस एक क़व्वाली हो गये !!
ना पूछ मुझसे कमल तू गरीबी का आलम 
महलों में रहने वाले तो अब रुदाली हो गये !!

- कमल पनेरू

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