इश्क़ करते हो
और नफा नुकसान की बातें करते हो!
अजीब शख्स हो
इंसान से भगवान की बातें करते हो !
ये कैसी सब है कि हर पल वीराना
मगर तुम बहार-ए -जान की बातें करते हो !
लगते तो बहुत समझदार से हो तुम
मगर इश्क़ नादान की बातें करते हो!
लौट गया वो डाकिया तुम्हारी देहलीज़ पर आ कर
तुम फ़िज़ूल ही दुनिया जहान की बातें करते हो !
कुछ गुलमोहर की खुशबुओं में है
तो कुछ सावन की पहली बारिश में
बताओ तुम किस मुस्कान की बातें करते हो!
महफ़िल में जाना, तनहा हो जाना
लौट कर घर को आना और फिर तारों को सताना
ये दिल ही दिल में किसके बखान की बातें करते हो !
जिससे भी मिलते हो नज़रें चुरा लेते हो
कहो तुम किससे दिल-ए-मेहमान की बातें करते हो !
एक अरसा हुआ कि हमने आइना ही नहीं देखा
एक अरसा हुआ की हमने तुमको ही नहीं देखा
सुना है तुम इश्क़ में इम्तेहान की बातें करते हो!
कि टूट कर भी नहीं टूटे तुम्हारे मेरे मुहब्बत के धागे ऐ कमल
कि तुम अब भी दो जिस्म एक जान की बातें करते हो !
- कमल पनेरू