बालाजी मंदिर से आने के बाद से कुछ अलग सा ही एहसास हो रहा है ! ना जाने क्यों ऐसा लग रहा है हर दम कोई मेरे साथ चल रहा है! डर सा लग रहा है हर वक़्त ! एक बेचैनी सी है जो अंदर ही अंदर खाये जा रही है! कभी अचानक से डर नींद भी खुल जा रही है रात में. मन सा लग ही नहीं रहा है किसी भी काम में. हर किसी को चिड़चिड़ापन सा हो रहा है ! जिस काम को करते हुए इतना वक़्त गुज़र गया है ऑफिस में, आज कॉन्फिडेंस ही नहीं है करने में. ऐसा लग रहा है की वो हर दम मुझे देख रहा है, हर वक़्त. अभी भी ! अभी भी बगल में बैठे होने का एहसास हो रहा है! जब सोता हूँ रात में तो पता नहीं क्यूँ ये डर होता है की मैं किसी दूसरी दुनिया में पहुंच जाऊंगा! जहाँ इंसान नहीं हैं एक भी!
पता नहीं आगे क्या होगा, ये बगल में बैठा शक्श न जाने क्या चाहता है मुझसे!
पता नहीं आगे क्या होगा, ये बगल में बैठा शक्श न जाने क्या चाहता है मुझसे!