Nav Bar

Sunday, November 11, 2018

ज़िन्दगी



बाप भरे होम लोन, बेटा घूमे बुलेट और कार में
अरे यही होता है क्या संसार में?
बाप चलाये सातों दिन दूकान बेटा जाये पांच दिन ड्यूटी
फिर सोये बेटा १२ बजे तक इतवार में
अरे यही होता है क्या संसार में ?
माँ लगाए घर में झाड़ू बहन धोये कपड़े बर्तन
बाप लाये शाम को खुशियाँ बेटा लाये टूटा तन
बस छपता है ये दिलों के अख़बार में
अरे यही होता है क्या संसार में ?
बहु के भी फिर खेल अनूठे
काम देख बदन उसका टूटे
मगर कोई कसर न छोड़े वो श्रृंगार में
अरे यही होता है क्या संसार में ?
बुखार में भी रहे अकेली मगर दर्द सबका पूछे
चीख चीख कर बोले माँ क्या यही होता है परिवार में?
परिवार बिखरता देख रोये बाप रातों में
सोचे बेटा बदला कैसे बहु से चंद मुलाकातों में
समझाए सबको कैसे की
खुशियाँ नहीं मिलती बाजार में
अरे यही होता है क्या संसार में ?
बूढ़ी दादी जपती राम नाम माला
बोले कलियुग का ये खेल निराला
राम नाम ना पूछे जब इंसान घूमे अहंकार में
अरे यही होता है क्या संसार में
बेटा बहु फिर हुकुम चलायें
रसोई भी फिर दो हो जायें
नहीं रहा दम अब बाप की पतवार में
अब यही होता है संसार में

- कमल पनेरू


No comments:

Post a Comment